Add To collaction

लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

4. मैंने इंसाफ कर दिया 

यह कहानी "जिसकी लाठी उसकी भैंस" मुहावरे को ध्यान में रखते हुए लिखी है । 

आज से कोई 10 पहले की बात है । रामसिंह अपनी मां के साथ अदालत पहुंच गया था । रामसिंह ने मां को बहुत मना किया था कि वह अदालत नहीं जाये पर वह जिद पर अड़ी रही । उसका अदालत आना वाजिब भी था । जिसके पति को सरेआम गोली मार दी गई हो तो वह औरत अदालत कैसे नहीं आती ? उसे अभी तक अदालत पर भरोसा था कि वह इंसाफ करेगी इसलिए वह आज अदालत के इंसाफ को देखने के लिए आई थी । पंद्रह साल से इस दिन का इंतजार कर रही थी वह । इन सालों में उस पर क्या गुजरी थी, यह वो ही जानती थी । कैसे कैसे कष्ट उठाकर उसने अपने बच्चों को पाला पोषा था । कैसे उन्हें लड़ने के लिए तैयार किया था । कैसे वकील की फीस का इंतजाम किया था और कैसे एक एक दिन गुजारा था, सबकी साक्षी थी वह । आज उसकी तपस्या का फल मिलने वाला था । 
अदालत खचाखच भरी हुई थी । मामला भी संगीन था । रामसिंह के पिता मदन सिंह जो कि एक पत्रकार थे, की हत्या करीब 15 वर्ष पूर्व उन लोगों ने कर दी थी जो कि सैक्स स्कैंडल में आरोपित थे । मदन सिंह का कसूर क्या था ? उसने उस सैक्स स्कैंडल की रिपोर्टिंग ही तो की थी । इतने बड़े सैक्स स्कैंडल जिसमें अमीर और सभ्य परिवारों की लगभग 100 बच्चियां शिकार हो रही थी उस स्कैंडल को अखबार में छापना क्या अपराध था ? इस स्कैंडल में शहर के नामी गिरामी लोग, नेता, पुलिस के अफसर और दरगाह के खादिम शामिल थे । ऐसे में एक पत्रकार का दायित्व ही तो निभाया था मदन सिंह ने । फिर उसकी हत्या क्यों की गई ? क्या यह बाकी के पत्रकारों को संदेश था कि जो भी इसकी रिपोर्टिंग करेगा , उसका हश्र यही होगा ? 

जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अदालत में पहुंचते ही सन्नाटा व्याप्त हो गया । पुलिस ने पूरी अदालत को छावनी बना रखा था । रामसिंह और उसकी मां को भी बड़ी मुश्किल से जगह मिली थी वहां पर । सब लोग सावधान की मुद्रा में खड़े हो गये । अदालत ने सबसे पहले मदन सिंह की हत्या का फैसला सुनाया । चारों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था । इसके बाद न्यायाधीश महोदय अपने चैंबर में चले गए । 

"यह न्याय नहीं है जज साहब ! यह अन्याय है ? अगर इन चारों दुष्टों ने मेरे पति को नहीं मारा तो फिर किसने मारा ? और अगर किसी ने उन्हें नहीं मारा तो फिर मुझे मेरा पति और मेरे बच्चों का पिता वापस लौटाइये । क्या ऐसा कर सकते हैं आप ? यदि किसी को सजा नहीं दे सकते और मेरे पति को जीवित नहीं कर सकते तो फिर यह न्याय करने का दिखावा बंद कीजिए । आपने जो बड़े बड़े शब्दों में लिखवा रखा है "सत्यमेव जयते" इसे मिटा दीजिए और "असत्यमेव जयते" लिखवा लीजिए । अगर ऐसा इंसाफ करते हैं आप तो इस नाइंसाफी के लिए ईश्वर आपको कभी माफ नहीं करेंगे" । रामसिंह की मां चिल्ला पड़ी थी । 

उस दिन रामसिंह ने पहली बार मां को टूटते हुए देखा था । जब उसके पिता की हत्या हुई थी तब वह छोटा था इसलिए उस समय की घटनाऐं उसे याद नहीं हैं । उसके पिता की हत्या के आरोप में चार व्यक्तियों पर मुकदमा चलाया गया था उनमें से एक सत्तारूढ दल का बहुत बड़ा नेता था । उस नेता को सजा दिलाने के बजाय उसे बचाने में पूरा पुलिस तंत्र और न्याय तंत्र लग गया था । सारे वकील एक हो गये थे । तो फिर मदन सिंह को इंसाफ कहां से मिलता ? जब सारा सिस्टम अपराधियों को बचाने में लग जाये तो फिर इंसाफ कौन करे ? सरकार जो चाहेगी, वही काम होगा । एक कहावत भी है न "जिसकी लाठी उसकी भैंस" । ऐसे में किससे क्या उम्मीद ? बेचारे आम आदमी कहां जायें ? 

रामसिंह अपनी मां को बड़ी मुश्किल से घर ला पाया था । वह अंदर ही अंदर सुलग रहा था मगर खामोशी ओढे हुए था । उसने मन ही मन कुछ सोच लिया था । 

उस घटना के करीब दस साल बाद और आज से करीब दो माह पहले उन आरोपियों में से एक व्यक्ति की लाश पहाड़ियों पर पाई गई थी । पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया और तफतीश शुरू कर दी । पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा । आज अखबार की सुर्खी बनी हुई थी "मदन सिंह हत्याकांड के एक आरोपित व्यक्ति की बीच बाजार में गोली मारकर हत्या । हत्यारे रामसिंह ने कहा पिता की हत्या का बदला ले लिया है" । 

पुलिस ने रामसिंह को गिरफ्तार कर लिया । रामसिंह के चेहरे पर ग्लानि के भाव नहीं थे अपितु गर्व के भाव थे । पुलिस उसे लेकर कोर्ट पहुंची तो रास्ते में पत्रकारों की टोली मिल गई । पत्रकारों को जवाब देते हुए रामसिंह ने कहा "जब न्यायपालिका इंसाफ करने में असमर्थ हो जाती है तो इंसाफ के लिए खुद पीड़ित व्यक्ति को आगे आना पड़ता है । मेरे पिता के हत्यारों पर 15 साल मुकदमा चलने के बाद भी न्यायालय ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया था तो फिर इंसाफ मुझे ही करना था और आज मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि मैंने इंसाफ कर दिया है । अब न्यायालय को जो करना है करता रहे" । 

आज रामसिंह की मां की दग्ध छाती को भी ठंडक मिल गई थी । 

श्री हरि 
12.1.23 


   6
4 Comments

Mahendra Bhatt

13-Jan-2023 10:09 AM

शानदार

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Jan-2023 04:39 PM

धन्यवाद आदरणीय

Reply

Gunjan Kamal

13-Jan-2023 09:52 AM

बेहतरीन

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Jan-2023 04:39 PM

धन्यवाद मैम

Reply